मैं इषà¥à¤Ÿ वरदान देने वाली वेदमाता की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करता हूं’
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Manmohan Kumar AryaDate
10-May-2016Category
शंका समाधानLanguage
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UmeshUpload Date
10-May-2016Download PDF
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अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में अंगिरा ऋषि को ईशà¥à¤µà¤° ने अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दिया था। 20 काणà¥à¤¡à¥‹ वाले अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ में कà¥à¤² 731 सूकà¥à¤¤ और 5977 मनà¥à¤¤à¥à¤° हैं। उनà¥à¤¨à¥€à¤¸à¤µà¥€à¤‚ शताबà¥à¤¦à¥€ व उसके बाद अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ के हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में पं. कà¥à¤·à¥‡à¤®à¤•à¤°à¤£à¤¦à¤¾à¤¸ तà¥à¤°à¤¿à¤µà¥‡à¤¦à¥€, पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤‚कार, पं. जयदेव शरà¥à¤®à¤¾ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤‚कार, पदà¥à¤®à¤µà¤¿à¤à¥‚षण डा. दामोदर सातवलेकर आदि à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤®à¥à¤– हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ समरà¥à¤ªà¤£à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ और सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤®à¥à¤¨à¤¿ जी ने à¤à¥€ अरà¥à¤¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ का आंशिक à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ किया है। अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ का अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ डा. सतà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ और पंडित उदयवीर विराज ने संयà¥à¤•à¥à¤¤ रूप से किया है। अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ के पाशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥à¤¯ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤•à¥‹à¤‚ में वà¥à¤¹à¤¿à¤Ÿà¤¨à¥€, बà¥à¤²à¥‚मफीलà¥à¤¡ और गà¥à¤°à¤¿à¤«à¥€à¤¥ महानà¥à¤à¤¾à¤µ समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हैं। आज हम इस लेख में अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ के उनà¥à¤¨à¥€à¤¸à¤µà¥‡à¤‚ काणà¥à¤¡ के इकहतà¥à¤¤à¤°à¤µà¥‡à¤‚ सूकà¥à¤¤ का पà¥à¤°à¤¥à¤® वा à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° मनà¥à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर उसका हिनà¥à¤¦à¥€ मे पदारà¥à¤¥ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर रहे हैं। वेदों के अनेक शबà¥à¤¦ हिनà¥à¤¦à¥€ में जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के तà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व कà¥à¤› पाठव पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° à¤à¥‡à¤¦ से पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हैं जो अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ सरल à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤¬à¥‹à¤§ हैं। यदि संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ का वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ जान लिया जाये तो वेद के मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का अरà¥à¤¥ जानना व समà¤à¤¨à¤¾ सरल हो जाता है। हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के माधà¥à¤¯à¤® से à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• हिनà¥à¤¦à¥€ पठित वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर सकता है। अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ का 19/71/1 मनà¥à¤¤à¥à¤° निमà¥à¤¨ हैः
ओ३मॠसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ मया वरदा वेदमाता पà¥à¤° चोदयनà¥à¤¤à¤¾à¤‚ पावमानी दà¥à¤µà¤¿à¤œà¤¾à¤¨à¤¾à¤®à¥à¥¤
आयà¥à¤ƒ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤‚ पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤‚ पशà¥à¤‚ कीरà¥à¤¤à¤¿à¤‚ दà¥à¤°à¤µà¤¿à¤£à¤‚ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤µà¤°à¥à¤šà¤¸à¤®à¥à¥¤
महà¥à¤¯à¤‚ दतà¥à¤¤à¤µà¤¾ वà¥à¤°à¤œà¤¤ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤²à¥‹à¤•à¤®à¥à¥¤à¥¤
इस मनà¥à¤¤à¥à¤° के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• पद वा शबà¥à¤¦ का पं. विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤‚कार कृत अरà¥à¤¥ हम यहां पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर रहे हैं। (मया) मैंने (वरदा) इषà¥à¤Ÿà¤«à¤² देनेवाली (वेदमाता) वेदरूपी माता का (सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾) सà¥à¤¤à¤µà¤¨ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर लिया है। (पà¥à¤° चोदयनà¥à¤¤à¤¾à¤®à¥) हे गà¥à¤°à¥à¤œà¤¨à¥‹ ! इस का मà¥à¤à¥‡ और पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ कीजिये। (दà¥à¤µà¤¿à¤œà¤¾à¤¨à¤¾à¤®à¥ पावमनी) दà¥à¤µà¤¿à¤œà¤¨à¥à¤®à¥‹à¤‚ वा दà¥à¤µà¤¿à¤œà¥‹à¤‚ को यह वेदमाता पवितà¥à¤° करती है। (आयà¥à¤ƒ) सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ और दीरà¥à¤˜ आयà¥, (पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤®à¥) पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾, (पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤®à¥) उतà¥à¤¤à¤® सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚, (पशà¥à¤®à¥) पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨, (कीरà¥à¤¤à¤¿à¤®à¥) पà¥à¤£à¥à¤¯ और यश, (दà¥à¤°à¤µà¤¿à¤£à¤®à¥) धनोपारà¥à¤œà¤¨à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾, (बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤µà¤°à¥à¤šà¤¸à¤®à¥) बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® के तेजसà¥à¤µà¤°à¥‚प का परिजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व इनका सदà¥à¤ªà¤¦à¥‡à¤¶ (महà¥à¤¯à¤‚ दतà¥à¤¤à¤µà¤¾) मà¥à¤à¥‡ देकर, हे गà¥à¤°à¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ ! (बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤²à¥‹à¤•à¤®à¥) आलोकमय बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® तक (वà¥à¤°à¤œà¤¤=वाजà¥à¤°à¤¯à¤¤) मà¥à¤à¥‡ पहà¥à¤‚चाइये।
पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ जी ने मनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¸à¥à¤¥ वेदमाता पद पर विचार करते हà¥à¤ लिखा है कि ‘‘वेदमाता” शबà¥à¤¦ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वेदरूपी माता अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ ‘‘वेदवाणी” ही अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¤ है। वेदवाणी मातृसदृश उपकारिणी है। इस वेदमाता का ही सà¥à¤¤à¤µà¤¨ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ के 1 से 19 काणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ तक अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है जिसकी ओर कि निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ ‘‘सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ मया वरदा वेदमाता” दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया गया है। उनके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¸à¥à¤¥ शबà¥à¤¦ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤²à¥‹à¤•à¤®à¥ का अरà¥à¤¥ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® का दरà¥à¤¶à¤¨ है। दरà¥à¤¶à¤¨ शबà¥à¤¦ का अरà¥à¤¥ साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ लेना समीचीन है। आंखों से निराकार वसà¥à¤¤à¥à¤“ं को नहीं देखा जा सकता। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° सूरà¥à¤¯à¤¸à¤® व उससे अधिक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤µà¤¾à¤¨à¥ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ आंखों से समà¥à¤šà¤¿à¤¤ रूप से नहीं देखा जा सकता व देखें तो आंखों को हानि की समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ होती है। अतः बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ ही बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤²à¥‹à¤•à¤®à¥ शबà¥à¤¦ से अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है। पं. विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ जी ने यह à¤à¥€ लिखा है कि अà¤à¥€ तक मनà¥à¤¤à¥à¤° के सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¤¾ वा उपासक ने आयà¥à¤ƒ, पà¥à¤°à¤¾à¤£, पà¥à¤°à¤œà¤¾, पशà¥, कीरà¥à¤¤à¤¿, दà¥à¤°à¤µà¤¿à¤£à¤‚ का पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ गà¥à¤°à¥à¤®à¥à¤– से सà¥à¤¨à¤¾ है। बहà¥à¤®à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ (=बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤²à¥‹à¤•) का वह मà¥à¤–à¥à¤¯à¤°à¥‚प से पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ अà¤à¥€ तक नहीं सà¥à¤¨ पाया, जिसका कि वरà¥à¤£à¤¨ अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ के बीसवें काणà¥à¤¡ में है।
मनà¥à¤¤à¥à¤° को साधारण वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की à¤à¤¾à¤·à¤¾ मे इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° à¤à¥€ कह सकते कि मैंने वरदान देने वाली वेदमाता की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ उसका यथोचित गà¥à¤£ कीरà¥à¤¤à¤¨ व अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया है। यह वेदवाणी अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने वालों को पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ देने वाली है और उन अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ दà¥à¤µà¤¿à¤œà¥‹à¤‚ को पवितà¥à¤° करती है। इस वेदमाता वेदवाणी के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से अधà¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤¾ को लमà¥à¤¬à¥€ आयà¥, सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤¾à¤£ वा जीवन, पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ योगà¥à¤¯ सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡à¤‚, दà¥à¤—à¥à¤§ देने वाली गाय, à¤à¥‡à¤¡à¤¼, बकरी व अशà¥à¤µ आदि पशà¥, यश व कीरà¥à¤¤à¤¿, à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• व आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• साधना रूपी धन सहित बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤µà¤°à¥à¤šà¤¸ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤µà¤°à¥à¤šà¤¸à¥ हमें सब पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ जिसमें आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– है, पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है जो कि वेदमाता के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ को ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। अनà¥à¤¤ में वेदमाता के सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¤¾ की मृतà¥à¤¯à¥ के समय वेदमाता अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ परमातà¥à¤®à¤¾ अपने उस पà¥à¤°à¤¿à¤¯ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ पà¥à¤¤à¥à¤° को अपने पास बà¥à¤°à¤¹à¥à¤²à¥‹à¤• वा मोकà¥à¤· में ले जाती है। हमने यह अरà¥à¤¥ साधारण लोगों के लिठकिया है। इतने अधिक लाठवेदों को पढ़ने, अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨, सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ व सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ आदि पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं। अतः संसार के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ को वेदमाता का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ नितà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अधिक से अधिक समय करना चाहिये जिससे उसे मनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¸à¥à¤¥ सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के लाà¤à¥‹à¤‚ व धनों की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हो।
इन पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को लिखने का हमारा पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ वेदमाता विषयक वेदमनà¥à¤¤à¥à¤° के अरà¥à¤¥ को पाठकों को परिचित कराना है जिससे पाठक वेदमनà¥à¤¤à¥à¤° निहित विचारों से लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ हो सकें। अपनी जनà¥à¤®à¤¦à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€ माता से à¤à¥€ इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के अनेकानेक लाठसनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं। अतः हमें अपनी माता की à¤à¥€ सेवा व पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा तथा उसको अपना सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤µ अरà¥à¤ªà¤£ कर उसकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करनी चाहिये। आशा है कि पाठक इससे लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ होंगे।
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